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Saturday, November 23, 2013

सुने तो आवाज़ें हैं शोर नहीं

सभी आँखे बंद किए शांत बैठे थे। पर सबके सब बार-बार अपनी आँखे खोलकर बाहर क्या चल रहा है  इसका ज़ायका भी ले रहे हैं। इतने में, इसी बीच सबसे पीछे एक लड़की बोली, "मैम, आगे वाले बच्चे बातें  हैं इस वजह से हमारी आँखे बार-बार खुल रही है।  प्लीज इन्हें चुप करवा दो।" तभी एक और आवाज़ मैम , शालू भी बात कर रही है।  एक बार फिर सभी की आँखे बंद कर, बाहर की, कमरे की और आसपास से आ रही आवाज़ों को ध्यान से सुनने को कहा। 

इस बार सभी आँखे बंद किए बिल्कुल शांत बैठे थे।  अब किसी की भी आँखे बार-बार नहीं खुल रही थी। सभी किसी धयान में खोए नज़र आ रहे थे।  वे अपनी गर्दन कभी कहीं घुमाते तो कभी कहीं, लगता जैसे किसी ख़ास आवाज़ के नज़दीक जेन की कोशिश कर रहे हों।  कुछ चेहरों पर तो मुस्कराहट फूट पड़ी थी।  न जेन वो क्या सुन रहे थे।  कमरा एकदम शांत जैसे वो खाली हो लेकिन बाहर की और आसपास की आवाज़ों में कमरे को खली नहीं होने दिया। बहुत देर के बाद उन्होंने अपनी आँखे खोली।  धीरे-धीरे सब अपनी आँखे  मसलते हुए खोल रहे थे।  लेकिन कुछ  आँखे बंद किए बैठे थे।  तभी साथ वाली ने उसे झंझोड़ते हुए कहा,  'ये आँखे खोल ले। ' सबकी आँखे खुल चुकी थीं।

 > एक-एक करके सबने बताना शुरू किया।

चिड़ियों की आवाज़
पीछे वाली क्लास के शोर की आवाज़
बाहर से मंदिर की घंटी की आवाज़
पानी के लिए चिल्लाती एक लड़की की आवाज़
एक लड़का किसी को बुला रहा था
पैरों के घिसने की आवाज़
सीढ़ियों से उतरने की आवाज़
सीमा मैडम  की अटेंडेस लेने की आवाज़
बाहर वाले पार्क में बछछों की आवाज़

> कुछ ने आँखे बंद किए कई तस्वीरें बना डाली।  जैसे,

मुझे लगा मेरा छोटा भाई रो रहा है और मम्मी मुझे आवाज़ लगा रही है। 
मेरी गली में मेरे भैया बहुत तेज़ डेक चलते हैं तो मुझे लगा जैसे गाने चलने वाले हैं।
मुझे लगा मैं अपन गली में खेल रही हूँ।
मुझे लगा मैं अपनी छत में हूँ और तेज़ हवा चल रही है।

आँखे बंद करने के बात करने और आवाज़ सुनने में एक झिलमिलाता हुआ रिश्ता नज़र आया जो दूरी वाली हर चीज़ को उनके बिल्कुल पास लाकर एक फ़ोटो खींच देती है। 

   

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