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Tuesday, February 8, 2011

मुलाकातों की जगह

मुलाकतों की इस जगह में अलग-अलग जगहों से आकर रोज़ाना मिलना कई संभावनाएँ पैदा करता है। यहाँ हर किसी के पास कहने को कुछ न कुछ होता है जिसे सब अपने-अपने अन्दाज़ में दोहराते हैं। कहानी कहना अपने आप में एक शैली है जिसमें एक संदर्भ बना पाने की क्षमता होती है।


कई कंहकार खुद-ब-खुद न्यौते में होते हैं! वे अपनी इच्छा, अपने गली-कूचे के विवरण, अपने सपने और वह सब बातें जिसे वे कहानी की तरह जीते हैं और बड़े गौर से कहानी की तरह ही अपने दोस्तों में, घर में, मोहल्ले में सुनते-सुनाते हैं। स्कूल में इस तरह के संदर्भ की कल्पना का आ जाना ख़ुद में एक संदर्भ तैयार कर लेती है और न्यौते में रखती है। हर किसी को उसमें जुड़ पाने की आज़ादी होती है।


मुलाकातों की जगहें हमें सुनने का माहौल देती है| हर साथी अपने अन्दर एक रचनाकार लिए हुए है|  माहौल बनने पर हर व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति रोजाना की महफिल में चलती रहती है|


kiran

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